
मई 2014 के दिन गौरव अग्रवाल upsc रैंक 1, रोमन सैनी(Unacademy) रैंक 18 के साथ उसी साल जीत ने भी ias का इंटरव्यू दिया था। लेकिन रिजल्ट वाले दिन लिस्ट में नाम नहीं था।
जीत अगले साल कि प्रिलिमस की मे लग गया। 2 महीने बाद प्रिलिमस मे ही फैल। अपने टीचर्स से मिला तो उन्होंने बताया कि तुमने इस बार प्रेक्टिस कम की है इसलिए सवाल जयद गलत हो गए हैं
अगली बार 2015 फिर परीक्षा , फिर प्रिलिमस में फैल, इस बार जवाब मिला तुम्हारे एकोनॉमिक्स में नंबर नहीं आए वो अच्छे से तयार करो बाकी हो जाएगा
अगली बार 2016 फिर परीक्षा , फिर प्रिलिमस फैल, इस बार जवाब मिला यूपीएससी ने फोकस बदल के Environment किया है, तुमहरे एनवीयरमेंट में सवाल गलत हुए हैं वो अच्छे से तैयार करो हो जाएगा
अगली बार 2017 फिर परीक्षा फिर प्रिलिमस फैल, जवाब तो शायद इस बार भी बात ही देता कोई लेकिन ये आखिरी अटेम्पट था सो कोई फायदा नहीं हुआ बस मायूसी हाथ रह गई।
2017 तक, जीत ने अपने सभी प्रयास खत्म कर दिए, लेकिन यूपीएससी उसका सपना अधूरा ही रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था उसने गलत क्या किया, सब कुछ जो बताया गया था, जो कहा गया है ये सही है ये करो, वही किया था, लेकिन फिर भी रेजल्ट वही।
खैर समझ यह आया कि सलाह टुकड़ों मे मिली, शायद किसी ने सारी सलाह एक ही बार मे बात दी होती तो बीमारी का इलाज हो जाता। तो सवाल ये आया कि मेंटोर ने सारी सलाह एक बार में क्यों नहीं दी ?
चिकित्सा के क्षेत्र में तो आईसीयू जैसी सुविधाएँ हैं, तो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए क्यों नहीं?
इस सवाल को लेकर जीत ने कई बड़े कोचिंग गुरुजनों से बात की। सभी ने सीमित संसाधनों और भारी संख्या में छात्रों को बताया, सक्षम प्रशिक्षित मेंटोर की कमी को कारण बताया ।
लेकिन जीत को लगा कि तकनीक से इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।
उसने तय किया कि वह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाएगा जो हर छात्र की कमियों और ताकत का आकलन करेगा। फिर उनके लिए कस्टमाइज़्ड रणनीति बनाकर उन्हें मार्गदर्शन करेगा।
समय के काम करते हुए जीत महसूस हुआ कि सिर्फ़ तकनीक ही काफी नहीं है। मानवीय सहानुभूति और प्रेरणा की ज़रूरत होती है। इसलिए उसने अपनी टीम में कई सलेक्टेड नौकरशाह, मनोवैज्ञानिक और शिक्षक, कोच की भी मदद ली ।
आज जीत का प्लेटफ़ॉर्म छात्रों को मार्गदर्शन कर रहा है। अभी तो यह शुरू हुआ है । जीत का लक्ष्य तैयारी की प्रभावशीलता को बढ़ाया जाए, कोचिंग और स्टुडेटन की दक्षता को बढ़ाया जाए। शिक्षा को चिकित्सा क्षेत्र जितना सक्षम बनाया जाए।
